नई दिल्ली,। अप्रैल माह में बिजली की मांग रिकार्ड 2.30 लाख मेगावाट पहुंचने की चुनौती अब बड़ी नजर आती दिख रही है। खास तौर पर देश में कोयला उत्पादन की स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार होते नहीं देख इस बात की आशंका है कि देश के कुछ हिस्सों में बिजली कटौती की स्थिति आ सकती है।
ऐसे में केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने एक बार फिर राज्य सरकारों, केंद्र सरकार के बिजली संयंत्रों और निजी बिजली कंपनियों को पत्र लिख कर उन्हें कोयले की उपलब्धता को बनाये रखने के निर्देश दिये गये हैं। इन्हें नियमानुसार आयातित कोयला भी स्टाक में रखने को कहा गया है।बिजली मंत्री आर के सिंह की अध्यक्षता में विगत 07 मार्च, 2023 को ही ताप बिजली घरों में कोयले की उपलब्धता पर विस्तार से चर्चा हुई थी और इस बारे में कई ऐहतियाती कदम उठाने का फैसला किया गया था।
सरकारी एजेंसियों के आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले एक महीने में कोयला उपलब्धता की स्थिति में कोई बहुत बदलाव नहीं आया है। बिजली मंत्रालय की तरफ से लिखे गये पत्र में कहा गया है कि ताप बिजली संयंत्रों को उनके पिछले 15 वर्षों के बिजली उत्पादन के औसत के आधार पर कोयला उपलब्ध कराया जाए।इस महीने की शुरुआत में इन संयंत्रों को बिजली मंत्रालय ने कहा था कि वो मरम्मत आदि का काम जल्दी से पूरा करके यह सुनिश्चित करें कि अप्रैल, 2023 से पूरा उत्पादन कर सकें।
केंद्रीय बिजली आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक 22 मार्च, 2023 को देश के 59 ताप संयंत्रों के पास आवश्यक निर्देश से कम कोयला उपलब्ध है। बिजली मंत्रालय का आकलन है कि अप्रैल से जून, 2023 के दौरान देश के बिजली घरों को 22.2 करोड़ टन कोयला चाहिए, जबकि घरेलू क्षेत्र से उपलब्धता 20 करोड़ के करीब टन रहने की उम्मीद है।यह स्थिति तब रहेगी जब बिजली की मांग मौजूदा स्तर पर ही रहे अगर पिछले वर्ष की तरफ बिजली की मांग में अचानक ही इजाफा होता है तो कोयले की मांग ज्यादा हो सकती है।
इस महीने की शुरुआत में हुई समीक्षा बैठक में रेल मंत्रालय से आग्रह किया गया था कि कोयला ढुलाई के लिए रोजाना 418 रैक की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। सूत्रों का कहना है कि रैक की उपलब्धता बढ़ी है। लेकिन अब बिजली मंत्रालय ने यह फैसला किया है कि अगर कोई राज्य घरेलू कोयले से तैयार बिजली को पावर एक्सचेंज में बेचता है तो उसके हिस्से का रेलवे रैक किसी दूसरे राज्य को दे दिया जाएगा।अगर किसी राज्य के पास अतिरिक्त बिजली है तो उसकी ट्रेडिंग सिर्फ सरकारी पोर्टल के जरिए ही की जा सकती है। वर्ष 2021-22 में ऐसा देखा गया था जब पूरे देश में बिजली का संकट था तब भी कुछ राज्य पावर एक्सचेंज में महंगी दर पर बिजली की बिक्री कर रहे थे।