लखनऊ। लोक निर्माण विभाग में पॉच प्रतिशत कोटे के अन्तर्गत समूह ग से प्रोन्नत हुए जूनियर इंजीनियर्स ने 106 जूनियर इंजीनियर्स को पदावनत किए जाने की कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए कहा शासन से पुर्नवविचार की मांग की है। उक्त संदर्भ में मीडिया को पचास प्रतिशत की संख्या में पदावनत किए गए जूनियर इंजीनियर्स ने लिखित रूप में अवगत कराया है कि प्रमुख अभियंता विकास एवं विभागाध्यक्ष लोक निर्माण विभाग द्वारा उच्च न्यायालय इलाहाबाद में योजित रिट संख्या 5348/2022 बृजेन्द्र मिश्र बनाम उ.प्र. राज्य व पॉच अन्य में दाखिल शपथ पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि वर्ष 2012-13 तक उत्तीर्ण/ पंजीकृत अभ्यर्थियों का डिप्लोमा वैध है। ऐसे मे पदावनत की यह कार्रवाई एकतरफा है।
पीड़ितों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग में पॉच प्रतिशत कोटे की अन्तर्गत समूह ग में कार्यरत कार्मिकों को अवर अभियंता के पवद पर विभागीय चयन समिति द्वारा शासन के अनुमोदन के उपरान्त वर्ष 2015 एवं 2016 में 124 कार्मिको को पदोन्नति दी गई। पदोन्नति से पूर्व सभी कार्मिकों को डिप्लोमा सत्यापन विभागीय चयन समिति द्वारा कराया गया। सत्यापन में प्रमाण पत्र सही पाए गये और पदोन्नति दी गई। इन्ही डिप्लोमा से प्राप्त कई अभ्यर्थी लोक सेवा आयोग एवं अधिनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती के माध्ययम से आये और वर्तमान में अवर अभियंता पद पर कार्यरत है। यानि सीधी भर्ती से आए अभ्यर्थियों के उन्ही प्रमाण पत्रों को वैध माना गया। लेकिन इन्ही संस्थानों से समान शिक्षा पद्वति (दूरस्थ/सेल्फस्टडी) के अन्तर्गत डिप्लोमा प्रमाण पत्र प्राप्त कार्मिकों को पदोन्नति के माध्यम से अवर अभियंता पद के लिए अमान्य किया गया। यह संविधान में प्रदत्त समानता के अधिकारों का हनन है।