नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राकांपा नेता मोहम्मद फैजल से पूछा है कि श्कौन से मौलिक अधिकार का हनन होता है? गौरतलब है कि राकांपा नेता मोहम्मद फैजल ने केरल उच्च न्यायालय द्वारा हत्या के प्रयास के एक मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाये जाने के बावजूद उन्हें सांसद के रूप में अयोग्य घोषित करने वाली अधिसूचना वापस नहीं लेने के लिए लोकसभा सचिवालय के खिलाफ याचिका दायर की है।
न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने मंगलवार को राकांपा नेता की याचिका पर सुनवाई के लिए विचार किया। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील वकील से पीठ ने यह सवाल तब किया जब उन्होंने मामले का उल्लेख करते हुए आग्रह किया कि इस पर बुधवार को सुनवाई की जाय। वकील ने कहा कि राकांपा नेता का निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार छीना जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह मनमानी है। इस पर पीठ ने उनसे पूछा कि उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। वकील ने जवाब दिया कि शीर्ष अदालत पहले ही इस मामले पर विचार कर रही है। इसके बाद पीठ बुधवार को मामले की सुनवाई के लिए राजी हो गई।
अधिवक्ता केआर शशिप्रभु के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में फैजल ने कहा कि लोकसभा सचिवालय ने इस तथ्य के बावजूद अपनी अधिसूचना वापस नहीं ली है कि हाई कोर्ट ने 25 जनवरी को उसकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले, लक्षद्वीप के पूर्व सांसद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा था कि उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए जाने और सजा पर रोक लगाए जाने के बावजूद व्यक्ति को सांसद के रूप में बहाल नहीं किया गया है। गौरतलब है कि लोकसभा सचिवालय द्वारा 13 जनवरी को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, कवारत्ती में एक सत्र अदालत द्वारा हत्या के प्रयास के मामले में दोषी ठहराए जाने की तारीख 11 जनवरी से फैजल लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हो गया था।