उसकी आँखों में एक अजब सा नशा था। जिसकी नज़र उसकी आँखों पर पड़ती बस उसे देखता ही रह जाता। हिरनी जैसी आंखों की वजह से ही तो मम्मी पापा ने उसका नाम सुनयना रखा था। उसकी काली आँखें, छरहरी काया और व्यवहार कुशलता के लड़के तो दिवाने थे। मगर सुनयना किसी को बजाव न देती।
सुनयना बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी। लखनऊ विश्वविद्यालय में हाल ही में दाखिला हुआ था। वो आईएएस ऑफिसर बनना चाहती थी जिससे मम्मी और पापा का सिर गर्व से ऊंचा हो जाये। अभावों को करीब से देखने वाली सुनयना के सपने हसीन थे।
लखनऊ में रहने के कारण नफासत और नज़ाकत दोनों उसके अंदर कूट कूट कर भरी हुई थी। पिता एक फर्म में प्राइवेट जॉब करते थे। माँ गृहणी थी। छोटा भाई अभी 11वीं में पढ़ाई कर रहा था। सबकुछ संतुलित तरीके से चल रहा था।
सुनयना की खास दोस्त नीरू उसको देख मन ही मन इर्ष्या करती थी। कहने को वो हर समय उसके साथ रहती, मगर उसके सौंदर्य से चिढ़ती भी थी। इसके बारे में सुनयना नहीं जानती थी। वो तो उसको अपनी बेस्ट फ्रेंड ही मानती थी। नीरू अक्सर अपने बड़े भाई पवन के साथ सुनयना को उसके घर लेने जाती। इसके बाद तीनों कॉलेज जाया करते।
सुनयना के रूप रंग पर पवन भी मर मिटा था। वो उसको मन ही मन चाहने लगा था। यह बात नीरू भांप गई थी। उसने भाई पवन को समझाया कि सुनयना घमंडी लड़की है, वो तुम्हारे चक्कर में नहीं पड़ेगी।
मगर पवन पर अब जिद सवार था वो सुनयना को हर हाल में अपने दिल की बात कह देना चाहता था। इधर कॉलेज की पढ़ाई में व्यस्त सुनयना परीक्षा की तैयारी में जुट गई थी। वहीं पवन सुनयना को प्रपोज करने की तैयारी में। हमेशा की तरह नीरू पवन के साथ सुनयना को लेकर अपनी गाड़ी से यूनिवर्सिटी पहुंचता है। पहले दिन का पेपर सुनयना का बहुत ही अच्छा हुआ वहीं नीरू कुछ खास नहीं कर सकी। सुनयना का पेपर अच्छा गया जिसे सुन नीरू को गुस्सा आ गया।
दूसरी तरफ पवन ने सुनयना को प्रपोज कर डाला जिस पर सुनयना ने उसको झिड़क दिया। अब सुनयना पवन और नीरू से कटने लगी। वो परीक्षा की तैयारी में व्यस्त हो गई। इधर नीरू और पवन दोनों ही सुनयना से चिढ़े हुए थे। नीरू ने भाई पवन को उसकाया, कहा था अपनी बेइज्जती करवाओगे। अब हो गई तसल्ली। नीरू की बात सुनकर पवन आग बबूला हो गया।
उसके इरादे अब खतरनाक हो गए थे। वो सुनयना को मजा चखना चाहता था। उसने बहन नीरू से कहा, इन अपमान का बदला तो लेकर ही रहूंगा। इसके बाद दोनों भाई बहन ने एक खतरनाक प्लान बनाया। जहां नीरू उससे इर्ष्या करती थी वो उसको नीचा दिखाना चाहती थी, वहीं पवन उसको बता देना चाहता था कि उसने उसकी ना कहकर सही नही किया।
हर रोज़ की तरह सुनयना घर से यूनिवर्सिटी जाने के लिए निकली। तेज बारिश हो रही थी, उसको जल्द से जल्द पहुंचना था। परीक्षा में कहीं देर न हो जाये इसलिए वो तेज कदमों के साथ बढ़े जा रही थी। एक हाथ में छाता और कंधे में बैग टांगे ऑटो तक पहुंचने की हड़बड़ी में थी। तभी अचानक उसके चेहरे पर एक बौछार पड़ी। उसने सोचा किसी ने पानी फेंका। वो उस शख्स को पलट कर देखती उससे पहले उसके चेहरे पर ऐसा लगा कि आग लग गई। वो तिलमिला उठी। छतरी नीचे गिर गई। उसका हाथ चेहरे की तरफ गया, जैसे ही उसने अपना चेहरा छुआ, मानों पूरी खाल निकलकर उसके हाथ में आ गई। वो सड़क पर गिर पड़ी और चीखने लगी। तभी एक आवाज आती है, ”तुम मेरी न हो सकी तो किसी की नहीं हो पाओगी”।
वो बारिश में सड़क पर पड़ी ऐसे तड़प रही थी जैसे बिन पानी मछली तड़पती है। उसने उस आवाज की तरफ देखा, वो पवन था। सुनयना सड़क पर तड़पती रही और बेहोश हो गई। उसके परिजन हॉस्पिटल ले जाते हैं। उसको आईसीयू में भर्ती कराया जाता है। उसका चेहरा 50 प्रतिशत जल चुका था। शरीर के दाएं अंग कई जगह तेजाब के छीटें पड़े जिससे वो बुरी तरह झुलस गई थी।
इस घटना की जांच हुई और पवन पकड़ा गया। इस षड्यंत्र में बहन नीरू भी दोषी पाई गई। सुनयना जीवन और मृत्यु से लड़ते हुए सफल रही। अब सुंदर आंखों वाली सुनयना अपनी सूरत आईने में देख घबरा जाती है। सुनयना का चेहरा भले ही जल गया हो, मगर हौसले नहीं। वो आईएएस बनने के सपने को अब भी पूरा करने में जुटी है।