नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी ने आस्ट्रेलिया के पीएम एंथोनी अलबनिजी के समक्ष हाल के महीनों में वहां कुछ हिंदू मंदिरों पर हुए हमलों और भारत विरोधी गतिविधियों का मुद्दा उठाया है। आस्ट्रेलिया दौरे पर गए पीएम मोदी की बुधवार को अलबनिजी के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई जो दोनो देशों के बीच बेहद गहरे होते रणनीतिक व आर्थिक रिश्तों की तरफ इशारा करता है।
बैठक में रक्षा, तकनीक व कारोबार में आपसी सहयोग को मजबूत बनाने के कई मुद्दों पर बात हुई है और मुक्त व्यापार समझौते से जुड़ी वार्ता को जून, 2023 से शुरू करने पर भी सहमति बनी है। इस सबके बावजूद पीएम मोदी ने वहां खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती गतिविधियों को लेकर अपनी चिंता साफ तौर पर जताई। साथ ही अभी तक इस बारे में आस्ट्रेलिया सरकार ने जो कदम उठाये हैं उस पर संतोष भी जताया।
मंदिरों पर हमले के बारे में मोदी ने अपने शुरुआती भाषण में कहा कि, ”हम किसी भी बाहरी तत्वों को भारत व आस्ट्रेलिया के दोस्ती भरे रिश्तों को हानि पहुंचाने की इजाजत नहीं देंगे। इस बारे में जो कदम अभी तक उठाये गये हैं मैंने उसको लेकर प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया है। पीएम अलबनिजी ने मुझे आज फिर आश्वस्त किया है कि इन तत्वों के खिलाफ वह कठोर कदम उठाएंगे।”
पीएम मोदी तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में आस्ट्रेलिया में थे। आस्ट्रेलिया व भारत के रिश्तों को उन्होंने क्रिकेट की भाषा में 20-20 मोड में बताया। दोनो प्रधानमंत्रियों के बीच एक वर्ष के भीतर यह छठी मुलाकात है जो अपने आप बता रही है कि दोनो तरफ से रिश्तों को कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है। अगली मुलाकात सितंबर, 2023 में नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मलेन के दौरान होगी।
मोदी ने कहा कि, ”भारत और आस्ट्रेलिया के रिश्ते सिर्फ इन दो देशों से नहीं जुड़े हुए हैं बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता, शांति व सद्भाव से भी जुड़ा हुआ है।” दोनो देशों के बीच पिछले वर्ष आर्थिक सहयोग कारोबार समझौता हुआ है और अब मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत की रफ्तार बढ़ाई जा रही है। कोशिश यह है कि इस वर्ष के अंत तक एफटीए भी हो जाए। मोदी और अलबनिजी ने अगले महीने से ही बातचीत को तेज करने को कहा है।
दोनो नेताओं के बीच रिनीवेबल इनर्जी और क्रिटिकल खनिज (नये तकनीक आधारित उद्योगों में प्रमुखता से इस्तेमाल होने वाले खनिज तत्व) के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं को तलाशने पर बात हुई है। रिनीवेबल सेक्टर में किस तरह से सहयोग किया जाए, इसको लेकर इस बैठक में स्थिति साफ की गई है। इस क्रम में हाल ही में गठित भारत-आस्ट्रेलिया ग्रीन हाइड्रोजन टास्क फोर्स पर अंतिम फैसला भी किया गया।
पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही ब्रिसबेन में भारत का नया कांसुलेट खोलने का ऐलान किया था। अब आस्ट्रेलिया ने बंगलोर में अपना कंसुलेट खोलने का फैसला किया है। दोनो नेताओं ने इंडिया आस्ट्रेलिया माइग्रेनश, मोबिलिटी पार्टनरशिप एग्रीमेंट का स्वागत किया है। यह भारत से प्रशिक्षित कामगारों को आस्ट्रेलिया में रोजगार के अवसर देने में मदद करेगा। अलबनिजी ने आस्ट्रेलिया के विकास में भारतीय पेशेवरों व छात्रों की भूमिका की तारीफ की।
बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा भी काफी प्रमुखता से उठा। असलियत में दोनो देशों के बीच प्रगाढ़ हुए रिश्तों के पीछे हिंद प्रशांत क्षेत्र की मौजूदा स्थिति (खास तौर पर चीन का रवैया) काफी हद तक जिम्मेदार है। दोनो देश क्वाड संगठन के सदस्य हैं और साझा सैन्य अभ्यास भी करते हैं।