सोनभद्र। मांची व कोन थाना क्षेत्र में 15-16 वर्ष पूर्व मेठ जयराम वादी व उदय प्रताप कनौजिया की गला काटकर नृशंस हत्या करने के मामले में विशेष न्यायाधीश एससीध् एसटी एक्ट एहसानुल्लाह खान की अदालत ने शुक्रवार को दोषसिद्ध पाकर नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा व लालव्रत कोल को उम्रकैद व अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड न देने पर 3- 3 वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से एक लाख रुपये मृतक उदय प्रताप कनौजिया की पत्नी लीलावती को मिलेगी। दोनों नक्सलियों को वज्र वाहन से नैनी व जौनपुर जेल से लाया गया था।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक मांची थाना क्षेत्र के चिचलिक गांव निवासी मैनेजर वादी ने 11 जुलाई 2006 को दी तहरीर दी कि उसका भाई जयराम वादी चैरा से खोडैला के रास्ते पर मेठ का काम करता था। 9 जुलाई 2006 को घर से काम पर गया था। पता चला है कि चैरा गांव के गहबड़िया जंगल में शाम साढ़े छह बजे उसके भाई की हत्या कर दी गई है। उसकी गर्दन सिर से अलग पड़ी है। पुलिस ने इस तहरीर पर एफआइआर दर्ज कर मामले की विवेचना की तो हार्डकोर नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा निवासी कम्हारडीह थाना राबर्ट्सगंज तथा नक्सली लालव्रत कोल का नाम प्रकाश में आया। इस मामले में अदालत ने दोनों नक्सलियों को उम्रकैद व 54-54 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 3- 3 वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
दूसरा मामला कोन थाना क्षेत्र का वर्ष 2007 का है। 26 फरवरी 2007 को कोन थाने में दी तहरीर में लीलावती ने अवगत कराया था कि प्रधानी चुनाव के विवाद में 25 फरवरी 2007 की रात 10 बजे हार्डकोर नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा अपने साथियों के साथ उसके दरवाजे पर आया। उसके पति को पकड़ कर घर से कुछ दूर ले जाकर टंगारी से गला काटकर हत्या कर दी और घर में आग लगा दी। इस मामले में अदालत ने सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी मुन्ना विश्वकर्मा को उम्रकैद व एक लाख 29 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 3 वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक सी शशांक शेखर कात्यायन ने बहस की।
तत्कालीन एसपी रहे सुभाष चंद्र दुबे के नेतृत्व में पुलिस टीम ने मुठभेड़ में 11 वर्ष पूर्व मुन्ना विश्वकर्मा को गिरफ्तार किया था। तभी से वह जेल में है। मुन्ना विश्वकर्मा के ऊपर 10 लाख रुपये का इनाम था। उसका पांच प्रांतों यूपी, एमपी, बिहार, झारखंड व छत्तीसगढ़ में आतंक था। इनकी गिरफ्तारी के बाद से ही सोनभद्र में लगभग नक्सलियों का सफाया हो गया था।