जय गुरूदेव
एक बार बाबा जी नाई से दाढी बनवाने उसकी दुकान पर गये ! दाढी बनाते हूये नाई अपना दुखडा रोने लगा – बाबा मेरा एक ही बेटा है , घर से रूठ कर भाग गया ! बहुत खोज कराई उसका कही पता नही चल रहा ! घर मे बहूत उदासी है ! कहते कहते नाई रोने लगा ! किसी के आँसू तो महाप्रभु देख ही नही पाते थे ! बाबा द्रवित हो गये बोले ” आ जायेगा “! नाई बोला सभी सन्त लोग यही कहते है पर अभी तक वे नही आया !
नाई के ऐसा कहते है बाबा जी ने लघुशंका निवृति की अपनी ईच्छा कही और बाहर चले गये ! तब तक केवल एक तरफ की दाढी बनी थी ! फिर कुछ देर बाद फिर आ गये दाढी बनवा कर जाते हुये कह गये बाबा “” तेरा बेटा जल्दी आ जायेगा !””
दुसरे दिन ही लडका वापिस घर आ गया ! नाई के पुछने पर कि कहाँ थे ! कैसे घर आये ?? तो लडके ने बताया “” कल सुहब होटल मे जब मै बर्तन धो रहा था तो साधु जैसा कोई आदमी मेरे पास आया और मुझसे कहा कि जल्दी घर जा , तेरी गाडी छुटने वाली है ! तेरा बाप तुझे बहुत याद कर रहा है ! उसने ही मुझे टिकट के पैसे भी दिये ! और बापू उसकी आधी दाढी बनी हूई थी ! मै फौरन चला आया !
सुनकर नाई हतप्रभ हो गया ! नाई समझ गया कि वे नीम करौली बाबा ही थे !
घनघोर अंधेरा
रात में घनघोर अंधेरा छाया था । लोग गहरी नींद में थे । बाबा ने सभी भक्तों को जगा दिया । बोले उपर सड़क पर लगभग आधा मिल दूर एक जीप ख़राब हो गयी है । आप लोग वहाँ यात्रियों को चाय दे आऐ । बाबा के जल्दी जाने के आदेश से भक्त लोगों ने तुरंत चाय बनाई और दौड़ते हूये गये । किसी तरह उबड खाबड़ रास्ता तय करके वे जीप तक पहूँचे और देखा कि जीप अटकी हूई है और उसमें चार महिलायें और एक आदमी ठण्ड से सिकुड़ रहे थे । बाबा ने पुनः: चाय बनवाई और कुछ भक्तों को जीप तक देकर भेजा । कि पहले वाली चाय ठण्डी हो गयी होगी । अन्त में भक्तगण जब जीप में फँसे लोगों को साथ लेकर आश््रम आये तो बाबा बोले ,” हम ३० साल पहले इन महिलाओं के घर जाया करते थे । उन्होंने हमें एक कम्बल दिया और हमारी बड़ी सेवा की ।” फिर उन्होंने उन महिलाओं को कम्बल दिलवाये और सुबह होने पर आश्रम से विदा हूई ।
जय गुरूदेव
प्रस्तुति: रवि सिंह,
नगर निगम, लखनऊ