श्रीमति गिरिजा देवी , रानी साहिबा (भद्री ) बताती है कि एक बार राजा साहेब भीषण रूप से बिमार पड़ गये । डॉक्टरी इलाज बेअसर हो रहा था । शिमला में तब बर्फ़ गिर रही थी । बेहद ठंड थी ।
५ जनवरी की रात वे बेहोश पड़े थे । दो पलंग बिछे थे दोनों के बीच एक मेज़ पर टेबल लैंप, कापी और क़लम रखे थे
तभी आधी रात के लगभग अपनी अर्धसुप्तावस्था में मैंने देखा कि एक छाया उस बन्द दरवाज़े के भीतर प्रवेश कर रही है और धीरे धीरे मेरे पलंग के पास आ गई । कभी मूझे सुनाई दिया कि वे छाया कूछ मंत्र सा कह रही है जिसे सात बार दोहराया गया । और मैं अर्धचेतना अवस्था में सब सुन रही हूँ ।छाया ने स्पष्ट शब्दों में कहा , ” भूलना मत , एक माला सुबह , एक माला शाम को अवश्य जपना , तेरा पति ठीक हो जायेगा ।””
तब उस छाया ने मूझे उठ कर बैठने को कहा । और दो मन्त्र कहे , पास के टेबल से मूझे कापी और पैन देते हूये मन्त्र लिखने के कहा ।आग्यानूसार मैंने मन्त्र लिख दिये और मैं लेट गयी और छाया मूस्कराते हूये अन्तर्ध्याऩन हो गयी । मैंने उस छाया कोहल्की रोशनी में देखा तो वे बाबा महाराज स्वंय थे । जो अक्सर शिमला में आते तो राजा भद्री को दर्शन देते ।
सुबह मैंने देखा तो कापी में दो मन्त्र लिखे थे । मन्त्र तो मैंने बाद में शुरू किये पर महाराज के आने से ही राजा साहब ठीक होते चले गये और बिल्कूल स्वस्थ हो गये ।
प्रस्तुति: रवि सिंह
नगर निगम, लखनऊ