चैतन्य भट्ट
इन दिनों “शराब सिंडीकेट” अखबारों में छाया हुआ है, बताया जा रहा है कि शराब के ठेकेदारों ने एक सिंडीकेट बना लिया है और ऊंचे दामों पर शराब बेच रहे हैं जिसको लेकर सत्तासीन पार्टी के एक दमदार कहे जाने वाले विधायक भारी नाराज हैं । उनका कहना है कि ये सिंडीकेट रोज लाखों रुपए कमा रहा है, विधायक जी ने कलेक्टर को, मुख्यमंत्री को,और पता नहीं किस-किस को चिट्ठी लिखी है कि इस शराब सिंडीकेट की कमर तोड़ी जाए लेकिन सिंडीकेट तो सिंडीकेट है उनकी चिट्ठी पर ना कलेक्टर ने ध्यान दिया ना मुख्यमंत्री ने और उसका असर होगा भी नहीं होगा क्योंकि जब पीने वाले ऊंचे दामों पर एतराज नहीं कर रहे हैं, धकापेल बोतल पर बोतल खरीद रहे हैं तो विधायक जी क्यों परेशान हैं? दारू चीज ही ऐसी है जिस पर महंगाई का कोई असर नहीं होता, जिसको पीना है वह पीकर ही रहेगा चाहे बोतल उसकी जेब खाली कर दे उसे लगता है कि जेब खाली हो गई तो क्या हुआ पेट तो भर गया । मशहूर कव्वाल अजीज नाजां की एक कव्वाली है “झूम बराबर झूम शराबी” ,जिसका एक अंतरा है “आजअंगूर की बेटी से मोहब्बत कर लें, शेख साहब की नसीहत से बगावत कर लें, इसने उठा रखी है सर पर दुनिया ये तो अच्छा हुआ अंगूर के बेटा ना हुआ” तो जब शराब पीने वालों को कोई दिक्कत नहीं हो रही तो फिर सिंडीकेट दाम बढ़ाए या घटाएं इससे आम आदमी का क्या लेना देना? ये बात भी पता लगी है कि सिंडीकेट के सदस्यों और सिंडिकेट में शामिल ना होने वाले सदस्यों के बीच में एक बैठक हुई थी, बैठक देखते-देखते युद्ध में बदल गई । सुना है कि चाकू छुरे भी निकल आए जमकर मारपीट भी हुई लोगों के कपड़े फट गए जिनके कपड़े फट गए थे उन्होंने घर से एक जोड़ी कपड़े बुलवाए और तब जाकर बैठक से बाहर निकल पाए, अपनी तो सिंडिकेट की बैठक में शामिल होने वाले तमाम शराब के ठेकेदारों को एक ही सलाह है कि भैया जब भी आप लोग इस बैठक में जाओ तो चाकू, छुरा भले ही साथ ना हो लेकिन एक जोड़ी पैंट, शर्ट, चड्डी, बनियान लंगोट, टोपी ये सब लेकर जरूर जाना क्योंकि इसके बिना आप बाहर बैठक से बाहर नहीं आ पाओगे , अब अपनी सलाह ये मानते हैं नहीं या नहीं ये उन पर डिपेंड करता है लेकिन अपना काम है सलाह देना तो अपन ने दे दी ।
जमीन तो ले ली आगे क्या
मध्य प्रदेश के धार जिले में एक भाई साहब ने अपनी शादी की 18 वीं वर्षगांठ पर अपनी पत्नी को “चांद” पर एक एकड़ जमीन खरीद कर गिफ्ट दे दी है यह जमीन उन्होंने अमेरिका की लूना सोसाइटी इंटरनेशनल फर्म के माध्यम से खरीदी है । भाई जी ने जमीन तो खरीद ली अब उस पर कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा वरना हो सकता है और जिन लोगों ने जमीन खरीदी हो वे लोग इनकी जमीन पर कब्जा कर लें अपनी टपरिया ठोंक लें, इसलिए भाई साहब को जल्द से जल्द उसका डीमार्केशन करवा कर खसरे में अपना नाम चढवा लेना चाहिए । चारों तरफ बाउंड्री वॉल खींच दे तो ज्यादा बेहतर होगा, बोर्ड भी लगा दे कि ये जमीन अमुक अमुक की है, लेकिन सवाल ये भी है यदि भाई साहब उस पर मकान बनाना चाहेंगे, फार्म हाउस बनाने की सोचेंगे तो फिर नगर निगम जाना पड़ेगा और नगर निगम से नक्शा पास करवाना, तहसीलदार से नामांतरण करवाना किसी पहाड़ पर चढ़ने से कम थोड़ी है, चाहे पटवारी हो, चाहे नगर निगम के कर्मचारी, चाहे तहसीलदार हो या रेवेन्यू विभाग के कर्मचारी अधिकारी सब इंसान ही हैं चाहे वे धरती में पोस्टेड हो या फिर चांद पर, बिना वजन लिए वे आपके कागज को एक इंच भी नहीं खिसकाएंगे । वैसे भाई साहब ने बताया है कि चांद पर जो जमीन उन्होंने खरीदी है उसकी कीमत धरती पर चल रही थी कीमतों से काफी कम है लेकिन वे जानते नहीं हैं कि इन तमाम फॉर्मेलिटी के बाद उनकी जमीन की कीमत धरती की कीमत के बराबर अपने आप हो जाएगी ना कहो उससे भी ज्यादा हो जाए ।
बब्बू भइया का धोबी पछाड़ दांव
भारतीय जनता पार्टी के जबलपुर पश्चिम से तीन बार के विधायक और पूर्व मंत्री रहे “हरेंद्रजीत सिंह बब्बू भैया” ने ऐसा पांसा फेंका कि पूरी भारतीय जनता पार्टी हिल गई । अभी तक जो पार्टी उन्हें धेले भर को नहीं पूछ रही थी उसके मुखिया ने तुरंत उन्हें पीले चावल भेजकर भोपाल बुला लिया कि बब्बू भैया आप इतने नाराज क्यों हो आओ बैठो हम लोग सब मिलकर बात करते हैं । बब्बू भैया का तीर निशाने पर बैठ गया, सुबह उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए और शाम को माफी मांग ली कह दिया कि गुस्से में कुछ ना कुछ मुंह से निकल आता हैं लेकिन मुझे कोई गिला शिकवा नहीं है । प्रदेश के मुखिया मामा जी से जब मुलाकात हुई तो साफ-साफ कह दिया कि अभी भी उन में दम है और वे पश्चिम से चुनाव लड़ना चाहते हैं रहा आरोप के बाद माफी का सवाल तो ये तो राजनीति में आम बात है सुबह कुछ बोल दो, शाम को अपने शब्द वापस ले लो लेकिन जो संदेश पहुंचाना चाहते हैं वो तो लोगों तक पहुंच ही जाता है, बब्बू भैया अपने आपको बेहद उपेक्षित मान रहे थे इसलिए उन्होंने ऐसा दांव चला कि पूरे प्रदेश के अखबारों में फ्रंट पेज की खबर बन गए, टीवी में उनके बयान को लेकर डिबेट शुरू हो गई। इसको कहते हैं एक बॉल पर छक्का, नहीं अट्ठा और दस्सा। लोग बाग बब्बू भैया को यह मानकर चल रहे थे कि बब्बू भैया की दुकान बंद हो चुकी है लेकिन उन का शटर ऐसा खुला कि पूरे इलाके की दुकानों के शटर हिल गए। देखना ये होगा कि बब्बू भैया का ये धोबी पछाड़ दांव चुनावी टिकिट के लिए कितना कारगर साबित होगा ।
सुपर हिट ऑफ़ द वीक
“शादी पर बैंड बाजे वालेक्यों बुलाए जाते हैं” किसी ने श्रीमान जी से पूछा
“दरअसल इंसान यदि शांत वातावरण में थोड़ी देर भी रहे तो अपना नफा नुकसान तो जान लेता है यही कारण है कि शादी में बैंड बाजे बुलाए जाते कि कहीं इसको सोचने का मौका न मिल जाए “श्रीमान जी ने तफसील से समझाया ।