नई दिल्ली। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कार्यपालिका और न्यायपालिका सहित विभिन्न संस्थानों का मार्गदर्शन करने वाली संवैधानिक लक्ष्मण रेखा का जिक्र किया और आश्चर्य जताया कि अगर न्यायाधीश प्रशासनिक नियुक्तियों का हिस्सा बन जाते हैं तो न्यायिक कार्य कौन करेगा। रिजिजू उच्चतम न्यायालय की एक पीठ द्वारा सरकार को निर्देश दिए जाने के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि सरकार मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों का चयन करने के लिए प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति गठित करे।
उन्होंने कहा, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संविधान में निर्धारित है। संसद को कानून बनाना होगा। तदनुसार, नियुक्ति की जानी है। मैं इस बात से सहमत हूं कि संसद में इसके लिए कोई अधिनियमन नहीं है, एक खालीपन है। रिजिजू ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के फैसले की आलोचना नहीं कर रहे हैं या इसके निर्णयों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, लेकिन मैं यह कह रहा हूं कि अगर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) या न्यायाधीश हर महत्वपूर्ण नियुक्ति पर बैठते हैं, तो न्यायपालिका के काम को कौन आगे बढ़ाएगा? देश में बहुत सारे प्रशासनिक मामले हैं। इसलिए हमें यह देखना होगा कि न्यायाधीश मुख्य रूप से न्यायिक कार्य करने के लिए हों। वे न्यायिक आदेश देकर लोगों को न्याय देने के लिए हैं।
रिजिजू ने कहा, मान लीजिए कि आप मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश हैं। आप एक प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं, तो आप सवालों के घेरे में आ जाएंगे। मामला आपकी अदालत में आता है। क्या आप उस मामले में फैसला दे सकते हैं, जिसका आप हिस्सा थे? यह न्याय के सिद्धांत से ही समझौता हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि संविधान में लक्ष्मण रेखा बहुत स्पष्ट है।
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में व्यवस्था दी है कि उनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की सदस्या वाली समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस महीने की शुरुआत में सर्वसम्मति से सुनाए गए फैसले में कहा कि यह नियम तब तक कायम रहेगा जब तक कि संसद इस मुद्दे पर कानून नहीं बना देती।
कानून मंत्री ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली की फिर से आलोचना करते हुए कहा कि यह कांग्रेस पार्टी के दुस्साहस का परिणाम है। रिजिजू की यह टिप्पणी तब आई है, जब मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि हर प्रणाली सही नहीं है, लेकिन यह सबसे अच्छी प्रणाली है, जिसे हमने विकसित किया है और इसका उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करना है।
रिजिजू ने भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर लंदन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी के लिए उन पर निशाना साधते हुए कहा कि जो व्यक्ति सबसे ज्यादा बोलता है, वह कहता है कि उसे बोलने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा, भारत और भारत के बाहर देश विरोधी ताकतें एक ही भाषा का इस्तेमाल करती हैं- लोकतंत्र खतरे में है, भारत में मानवाधिकार न के बराबर हैं। मंत्री ने आरोप लगाया कि यह भारत विरोधी गिरोह जो कहता है, उसी भाषा का इस्तेमाल राहुल गांधी करते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जो कुछ भी कहते हैं, उसे उसी इको सिस्टम द्वारा तेज आवाज के साथ प्रचारित किया जाता है। यही इको सिस्टम भारत और भारत के बाहर काम कर रहा है।