पटना। बिहार सरकार ने शुक्रवार को ऊर्जा विभाग के बजट पर विधानसभा में लाए गए कटौती प्रस्ताव पर दो टूक कहा कि मुफ्त बिजली संभव नहीं है।सब्सिडी के रूप में ही उपभोक्ताओं को आठ हजार करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री विद्युत उपभोक्ता सहायता योजना के तहत अलग-अलग श्रेणी के उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट की दर से अनुदान दिया जा रहा।
वर्तमान वित्तीय वर्ष में 7801 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जा चुका है। इससे ज्यादा और क्या हो सकता है। कई विधायकों ने मुफ्त बिजली की मांग की।बिजली बिल अधिक आने व बिजली से जुड़ी अन्य शिकायतों के संबंध में उन्होंने घोषणा की प्रत्येक माह के हर दूसरे सप्ताह में प्रखंड स्तर पर कैंप लगाया जाएगा।बिजली बोर्ड के पुनर्गठन के समय 2012 में राज्य का अधिकतम लोड 1802 मेगावाट था जो वर्ष 2022 में 6738 मेगावाट हो गया।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के सर्वे के अनुसार अगले वर्ष 2023-24 में अधिकतम लोड 7521 मेगावाट होने की संभावना है।संचरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण की चर्चा के क्रम में ऊर्जा मंत्री ने कहा कि राज्य योजना से स्वीकृत 2149.35 रुपये की लागत से सात नए ग्रिड उपकेंद्र का निर्माण कार्य एवं 132 -33 केवी ग्रिड के विस्तारीकरण कार्य में दो नए ग्रिड क्रमशरू गोरौल व अस्थावां में बन चुके हैं।
शेष का काम प्रगति पर है जो इस वर्ष मई में पूरा हो जाएगा। वहीं, पटना एवं समीपवर्ती क्षेत्रो में संतरण प्रणाली के विस्तारीकरण एवं सुदृढ़ीकरण के लिए 400 मेगावाट का ग्रिड उपकेंद्र बख्तियारपुर में बनाया जा रहा है।इसकी लागत 664.76 करोड़ रुपए है। इस वर्ष दिसंबर तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। वहीं, बक्सर के चैसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट से विद्युत निकासी के लिए 400 केवी स्तर पर एक तथा 220 केवी के तीन संचरण लाइनों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
इसे इस वर्ष जून तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है। इसकी लागत 817.35 करोड़ रुपये है। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिहार को उसके पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल, यूपी और झारखंड की तुलना में महंगी बिजली मिलती है। राज्य सरकार अपने उपभोक्ताओं को इसके बावजूद सस्ती बिजली उपलब्ध करा रही है। हम लगातार वन नेशन वन टैरिफ की बात करते रहे हैं, पर उसका कुछ नहीं हो रहा।मंत्री ने कहा कि बिहार में अब तक 13 लाख से अधिक स्मार्ट प्री-पेड मीटर लग चुके हैं। अक्टूबर 2022 में 1.48 करोड़ उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाने के लिए 15,074 करोड़ रुपए की योजना को स्वीकृति दी गई है।बिहार में एटीएंडसी लास में लगातार कमी हो रही। वर्ष 2021-22 में यह 29.27 प्रतिशत पर आ गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ऊर्जा विभाग के 11 हजार, 536 करोड़, 83 लाख, 67 हजार रुपये के अनुदान मांग को स्वीकृति प्रदान की गई।