लखनऊ।उत्तर प्रदेश डाटा सेंटर नीति 2021 के तहत एनआईडीपी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दाखिल डाटा सेंटर पार्क ग्रेटर नोएडा के लिए वितरण लाइसेंस की याचिका पर आज विद्युत नियामक आयोग द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जन सुनवाई की गई। एनआईडीपी व नोएडा पावर कंपनी के तरफ से जहां सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भाग लिया। पावर कारपोरेशन की तरफ से कोई भी इस जनसुनवाई कोई शािमल नही हुआ। प्रदेश के उपभोक्ताओं की तरफ से उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने जनसुनवाई में भाग लेकर इसे निजी करण का पहला प्रयोग बताते हुए जमकर विरोध किया।
जनसुनवाई में भाग लेते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डाटा सेंटर नीत 2021 जो बनाई गई है उसमें कई कमियां है। इससे उत्तर प्रदेश का विकास नहीं होने वाला क्योंकि एनआईडीपी कंपनी ने अपना रजिस्ट्रेशन महाराष्ट्र में कराया है। इससे प्राप्त होने वाला सभी कर जीएसटी महाराष्ट्र में जाएगी। चैंकाने वाली बात यह है कि इस प्रोजेक्ट के लिए वितरण लाइसेंस की कोई आवश्यकता नहीं थी। यदि सरकार को सुविधा ही देना था तो सस्ती बिजली दे देती। लेकिन एक डाटा सेंटर पार्क के लिए वितरण का लाइसेंस दिया जाना निजीकरण को बढावा देने वाला कदम है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा एनआईडीपी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड जिसके द्वारा यह वितरण लाइसेंस मांगा गया है उसकी नेटवर्थ केवल 4 करोड 40 लाख है। उसकी सहयोगी प्रमोटर कंपनी निरंजन हीरानंदानी जिसकी कुल नेटवर्थ 4953 करोड है। उसके आधार पर एनआईडीपी अपनी कुल आवयश्यक नेट वर्थ 28.09 करोड के आधार पर वितरण लाइसेंस मांग रही है। जबकि ट्रांसमिशन के वित्तीय पैरामीटर के अनुसार लगभग 150 करोड की नेट वर्थ का 30 प्रतिशत यानी लगभग 45 करोडऋ होना चाहिए। उपभोक्ता परिषद का मानना कि प्रमोटर कंपनी की नेटवर्थ नहीं जोडी आनी चाहिए ।
उपभोक्ता परिषद के अनुसार इनकी प्रमोटर कंपनी निरंजन हीरानंदानी मुंबई के खिलाफ किसी मामले में सीबीआई की जांच चल चुकी है। इसलिए इनका पूरा ब्यौरा लिया जाए। यह याचिका का किसी भी रूप में स्वीकार करने योग्य नहीं है इसे खारिज किया जाना चाहिए। नोएडा पावर कंपनी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एमजी रामचंद्रन ने अपनी बात रखते हुए वितरण लाइसेंस दिए जाने का विरोध करते हुए अनेकों विधिक तर्क रखे गए और उनका मूल मंत्र दिया था कि इन्हें वितरण लाइसेंस ना देकर फ्रेंचाइजी दिए जाने पर विचार किया जाना चाहिए। दूसरी तरफ निरंजन हीरानंदानी ग्रुप के अधिवक्त साक्या चैधरी ने याचिका को स्वीकार किए जाने का अनुरोध किया। विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने कहा सभी पक्षों को सुनाने के बाद उन्होंने कहा कि परीक्षण और जाॅच उपरान्त जो आवश्यक होगा वह फैसला आयोग करेंगा।