लखनऊ। दुर्गापूजा व रामायण पाठ कराने के लिए सरकार की तरफ से एक लाख रुपये की मदद देने के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में चुनौती दी गई है। इस मामले पर एक अधिवक्ता ने जनहित याचिका दाखिल करते हुए धार्मिक आयोजन में सरकार की तरफ से पैसा देने पर सवाल खड़ा किया है। याचिका में कहा गया कि कानूनी तौर पर राज्य सरकार ऐसे किसी धार्मिक आयोजन के लिए धन उपलब्ध नहीं करा सकती है। याचिका पर सुनवाई 21 मार्च को हो सकती है।स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव की तरफ से दाखिल इस जनहित याचिका में सांस्कृतिक व धार्मिक मामलों के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम की तरफ से 10 मार्च के आदेश को चुनौती देकर उसे निरस्त करने का आग्रह किया गया है।
प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों व डीएम को भेजे गए इस आदेश में कहा गया है कि 22 मार्च से 30 मार्च के बीच दुर्गा पूजन व अखंड रामायण पाठ आदि के कार्यक्रम, जनपद, तहसील व विकास खंड स्तर पर समितियां गठित कर आयोजित कराए जाएं। इसमें प्रस्तुति करने वाले कलाकारों को मानदेय देने के लिए हर जिले को खर्च के लिए एक लाख रुपये की धनराशि संस्कृति विभाग उप्लब्ध कराएगा। यह राशि जिला पर्यटन एवं सांस्कृतिक परिषद को मिलेगी।
याचिका में कहा गया कि सरकार संविधान के अनुच्छेद 27 के तहत ऐसे धार्मिक आयोजनों के लिए जनकोष के धन का उपयोग नहीं कर सकती है। इसलिए 10 मार्च को जारी यह आदेश भेदभाव पैदा करने वाला है। इसमें समाज के अन्य धर्मों से जुड़े लोगों के लिए कोई प्रावधान नहीं है। याचिका में राज्य सरकार समेत मुकेश मेश्राम आदि को पक्षकार बनाते हुए आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है।