प्रयागराज। बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के चलते शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों की बिजली आपूर्ति लड़खड़ा गई है। बिजली आपूर्ति ठप होने से उपभोक्ता परेशान हैं। बता दें विभिन्न मांगों को लेकर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के साथ बातचीत बेनतीजा रहने पर विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति से जुड़े विद्युत कर्मचारी गुरुवार रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए।
इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त रुख अपनाया है। बिजली कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों के खिलाफ कोर्ट ने जमानती वारंट जारी करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) लखनऊ को इसे तामील कराने के लिए निर्देशित किया है। जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। अधिवक्ता विभु राय की शिकायत पर मामले की सुनवाई हुई। पहले से लंबित याचिका पर कोर्ट ने बिजली कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों को जमानती वारंट जारी किया है। सभी सोमवार 20 मार्च को तलब किए गए हैं।
आपको बता दें, इससे पहले गुरुवार रात 10 बजे से हड़ताल के मद्देजनर ऊर्जा मंत्री ने दिन में विद्युत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा समिति में शामिल संगठनों के पदाधिकारियों के साथ दो घंटे तक वार्ता की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। वार्ता बेनतीजा रहने के बाद शक्ति भवन में पत्रकारों से बातचीत में मंत्री ने बताया कि विद्युत संघर्ष समिति द्वारा प्रस्तावित 72 घंटे के कार्य बहिष्कार व विद्युत व्यवधान पैदा किए जाने को लेकर विभाग ने अपनी पूरी तैयार की है। 72 घंटे दौरान विशेष सतर्कता बरतने के साथ ही शक्ति भवन में स्थापित कंट्रोल रूम के जरिये 24 घंटे मानीटरिंग की जाएगी।
टोल फ्री नंबर-1912 में आने वाली शिकायतों का तत्परता से संज्ञान लेने के साथ ही इंटरनेट मीडिया व अन्य माध्यमों से विद्युत व्यवधान से जुड़ी खबरों पर विशेष नजर रखने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि उप्र पावर आफिसर्स एसोसिएशन, विद्युत मजदूर पंचायत संघ, विद्युत संविदा कर्मचारी महासंघ, उप्र राज्य विद्युत परिषद नेता कर्मचारी संघ, प्रमोटेड पावर इंजीनियर्स वेल्फेयर एसोसिएशन व विद्युत तकनीकी कर्मचारी संयुक्त संघ समेत कुल छह संगठनों ने उपभोक्ताओं को हितों का ध्यान रखते हुए राज्य सरकार का समर्थन किया है और विद्युत सेवा को निर्बाध रखने के लिए 24 घंटे काम करने का भी भरोसा दिलाया है।